Vishesh

सबसे गहरी चोट

भारतीय परिवारों में मौत की कोई शब्दावली नहीं होती – फिर एक बेटी अपने पिता की आकस्मिक मौत का शोक मनाने का कौन सा तरीका ढूंढे?

बचपन की यादें: लेखिका अपनी मां सुष्मिता कुंडू और अपने पिता स्वर्गीय बासुदेव कुंडू के साथ
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बीते साल मैं एक लॉन्ग-डिस्टेंस रिलेशनशिप में थी, एक ऐसे आदमी के साथ, जो अपने लंबे, टूटे हुए, 24 साल पुराने विवाह के समाप्त हो जाने का दावा किया करता था। वह लगातार अपनी पत्नी को 'एक्स' कहकर सम्बोधित करता, जबकि वह उपनगरीय लंदन के एक घर में उसके साथ ही रहता था, जहाँ दोनों मिलकर अपनी ऑटिस्टिक बेटी की देखभाल कर रहे थे।और कुछ ऐसे ही, हमारा रिश्ता अपनी वर्षगाँठ के एक साल पूरे होने के ठीक एक दिन पहले ही टूट गया। ये उस प्रकार का जटिल सम्बन्ध था, जिस से हर एकाकी व्यक्ति अपनी मध्य-चालीस की उम्र-अवस्था में पूरी कोशिश करके बचना चाहता है, और जो बस एक एकतरफ़ा वॉइस नोट के रूप में आकर आधी रात सारे नाते तोड़ गया। "मैं अब ऑफिस डिनर के लिए जा रहा हूँ।" ये उस नोट की आखिरी लाइन थी, मानो ये सब मामूली सी ही बात तो हो। ये भी तब, जब हम बस कोई तीन हफ्ते पहले ही थाईलैंड में छुट्टियाँ बिता कर आये थे, और मैं अपने बिस्तर में दर्द में लेटी अपनी छाती में हुये उस गहरे संक्रमण से जूझ रही थी, जो उसी ट्रिप पर मुझे उस से हुआ था। मेरी पलकें स्टेरॉयड्स के असर से भारी हैं। मेरी ऑटो-इम्यून, फाइब्रोमायल्जिया, चरम पर है। सब कुछ दर्द में है। सब कुछ टूटा हुआ महसूस होता है...바카라 웹사이트

मुझे नहीं पता कि मैं उस रात की सुबह फिर से बाबा के बारे में क्यों सोचती हूँ।바카라 웹사이트

वो ऑडियो फिर से चलाते हुये मेरी कंपकंपाती उंगलियां। उस निर्णायक क्षण से आहत मैं। वाशरूम के पॉट पर बैठे बैठे मेरी आँखों से निर्झर गिरते हुए तपते आंसू। मेरी गर्दन से होते हुए मेरे सीने पर घुमड़ते हुए।바카라 웹사이트

पेशाब करते करते ही मैं जोर जोर से रोई। साँस जैसे आ ही नहीं रही थी। कोविड-19 की दूसरी घातक लहर के बाद मेरा बायाँ फेफड़ा काफी कमजोर हो चुका है। उस वक़्त कोलकाता (जहाँ मेरा जन्म हुआ था) के एक अनजाने से निजी अस्पताल की अत्यंत भीड़भाड़ वाली HDU इकाई में तीन हफ्ते बिताने के दौरान मेरी शारीरिक दशा काफी बिगड़ गयी थी।अपने चारों तरफ इतनी मौत जो मैंने देखी, डिसइंफेक्टेंट्स, स्ट्रेचेर्स, और एम्बुलेंस के सायरन में गुथी उसकी वो गंध आज भी मुझे दहलाती रहती है।바카라 웹사이트바카라 웹사이트

मैं चार साल की थी जब मेरे जैविक पिता, बासुदेव कुंडू, एक प्रतिभाशाली युवा बैंकर और प्रेसिडेंसी कॉलेज के पूर्व छात्र, जहाँ उनकी मेरी माँ, सुष्मिता, स्नेहपूर्वक 'मिता', से मुलाकात हुई, ने खुद को गोली मार ली, करीब एक साल से चल रहे स्किजोफ्रेनिया के इलाज के दौरान—जब वह एक रात मेरे नानी-नाना के दक्षिण कोलकाता स्थित निवास पर आए थे, वह स्पष्ट रूप से परेशान थे—तब तक मेरे माता-पिता अलग अलग रहने लगे थे। माँ उनके घर और अपने वैवाहिक संसार से एक दमा पीड़ित बच्ची को लिए बाहर निकल गई थी, एक साइकिल रिक्शा पर सवार, बिना किसी सामान के। उसके पहुँचने पर पहली मंजिल की बालकनी से झांकते उसके बूढ़े हो चले, हृदयरोगी पिता, देखते ही उसे अंदर लेकर आये, वो बेटी जिसने कभी अपनी माँ की इच्छा के खिलाफ शादी कर ली थी।바카라 웹사이트

उनकी परवरिश बंगाल के एक जिले में हुई थी।आत्महत्या करने का पहला प्रयास बाबा ने तब किया था, जब वो बस एक युवक थे। माँ ने उनकी कलाइयों और हाथों पर निशान देख लिए थे, जिसे उन्होंने माँ को उनके मिदनापुर के घर पर कभी किसी पेड़ पर चढ़ते हुए गिरने की वजह से लगी चोट बता दिया था। दो भाइयों में मेरे पिता छोटे भाई थे।바카라 웹사이트

माँ के साथ साथ कभी नानी-नाना ने भी मुझे बाबा की क्लिनिकल डिप्रेशन से चली लंबी जद्दोजहद के बारे में कुछ नहीं बताया था, ना ही ये कि एक बार जब जब वह अपने माता-पिता के घर पर ठहरे हुए थे, उन्होंने एक भरी हुई बन्दूक से खुद को दाग लिया था। बल्कि उस घटना से पहले मेरी नानी ने एक ट्रंक कॉल पर उनके माता-पिता को ये चेताया भी था कि हालांकि बाबा पहले से काफी बेहतर हैं और अपने अवसाद से उभर रहे हैं, फिर भी कोई भी उद्विग्न करने वाली बात उनके साथ ना हो। ये ध्यान रखा जाये कि घर पर कोई तेज धार की वस्तु ना हो।바카라 웹사이트

उस बरस वो लक्ष्मी पूजा का वक़्त था, एक ऐसा त्यौहार जो अब हमारे परिवार के वार्षिक पंचांग से बिलकुल हटा ही दिया गया है, ठीक वैसे ही जैसे बाबा से सम्बंधित सारे भौतिक निशान मिटा दिए गए हैं। उस वक़्त माँ ने मुझे पहली बार बाबा के अविवेक के बारे में बतलाया, करीब दो साल पहले, जब अचानक ही उनके एक चचेरे भाई और मेरे मामा, जिनसे मेरी आत्मीयता थी, ने बाबा की गैर-मौजूदगी की सच्चाई बयान कर दी। मेरी दसवीं की बोर्ड परीक्षा के शुरू होने के ठीक एक दिन पहले।바카라 웹사이트

मैंने सुसइ शब्द तब पहली बार सुना था, बिना पलक झपकाए। मेरी उम्र 16 साल की रही होगी। मैं रोई तक नहीं। लेकिन मुझे नींद नहीं आई और मैं पूरी रात जागती रही, ना जाने कहाँ से मुझमें एक गुस्सा भरता जा रहा था। मैं एक घंटे तक बेचैनी से इधर-उधर पलटती रही और अपने हाथों से लिखे हुए सारी उन चिट्ठियों को फाड़ना शुरू दिया, जिन्हें मैंने लगभग अपने पूरे बचपन लिखा था, और जो लगभग हमेशा ‘‘प्रिय बाबा’’ से शुरू होते थे। जैसे जैसे मैंने उन जीर्ण होते, पीले पड़ते किनारों वाली डायरियों से पन्ने के बाद पन्ने फाड़े, मुझे और अधिक घृणा महसूस हुई।바카라 웹사이트

उदास या आहत महसूस करने की जगह मैं इतने गुस्से में क्यों थी इसका मुझे कोई अंदाज़ा नहीं था। मैं भाग कर अपनी माँ के पास क्यों नहीं गई? बजाय कि इस विश्वासघात को अंदर बंद रखने के, इस अहसास के साथ कि मेरे साथ एक छल हुआ, मुझे ऐसे छोड़ दिया गया। शायद, मेरे पास बस माँ ही तो थी। मेरे पिता का परिवार, उनके बड़े भाई जो हमेशा एक गैर-हाज़िर चाचा रहे, इन सबने हमसे अपना दामन छुड़ा लिया था। मुझे ये जरा भी अहसास नहीं था कि मेरी इस उबलती नाराजगी का कारण शायद बाबा नहीं थे, वो व्यक्ति जिसकी मौजूदगी की मेरी कोई यादें नहीं हैं, बल्कि शायद माँ थी। और साथ में मम्मा-बापी (मेरे नाना और नानी), वो शान्ति माशी (मेरी बचपन की आया जो संथाली थीं), कलिपदा मामा (हमारे ओड़िया गृह सहायक), और मिसेज वाइल्ड (मेरी नर्सरी स्कूल टीचर) जिन्होंने आसमान की तरफ इशारा करते हुए ये झूठ कहा था कि मेरे पिता अब एक सितारा बन गए हैं।바카라 웹사이트바카라 웹사이트

मेरा ये संघर्ष शायद उन सब के साथ ही था जिनसे भी मैं मिली थी, पहले या बाद में, और जिन्होंने इस मौन साजिश में सक्रिय रूप से भाग लिया था, ताकि एक बेटी की ये चोट कम की जा सके कि उसके पिता की काफी पहले मौत हो चुकी है, कि उन्होंने अपना जीवन समाप्त करने का निर्णय लिया। भारतीय परिवारों में, जहाँ मौत का कोई अपना शब्दकोष नहीं है और शोक को भी शादी की तरह ही धूमधाम और सामाजिक और आर्थिक दिखावे से मनाने की आदत रही है, किसी की आकस्मिक मौत का विलाप आखिर바카라 웹사이트 कैसे करना चाहिए? हम हमेशा लोगों से कहते हैं कि विपत्ति और बीमारी के सामने लड़ते रहो और कभी हार मत मानो। फिर खुद अपने हाथों ली गई अपनी जान ऐसे कैसे देखी जा सकती है कि ये बस कायरता और हार मान जाने का कृत्य है? ये किसी गंभीर और जानलेवा बीमारी का नतीजा क्यों नहीं हो सकती, जैसे मन का कोई कैंसर, शायद?바카라 웹사이트

आत्महत्या, हालांकि अपराध की श्रेणी से मुक्त हो चुकी है, फिर भी इसे एक अपराध के रूप में देखने का स्थायी कलंक चलता आ रहा है, इसलिए हम आमतौर पर 'किया गया' शब्द का उपयोग करते हैं, क्योंकि कोई तुरंत किसी को दोष देने की तलाश में होता है— एबेटमेंट या उकसावा।바카라 웹사이트

उस भारी और उद्वेलना से भरी ट्रॉमेटिक रात, मैंने भी खुद को उतना ही धिक्कारा। एक मोटी, पिताविहीन, टेढ़े-मेढ़े दांतो वाली लड़की, एक पॉश, गर्ल्स कान्वेंट में पढ़ती हुई, जो सहपाठियों द्वारा सताए जाने से बचने के लिए मजबूरी में झूठ बोलती, जिसे कोई लड़का कभी पसंद नहीं करता था, हर चीज में जीतती, पढ़ाई और स्कूल के त्योहारों में पदक, गाने, नृत्य, वाद-विवाद और रंगमंच जैसी एक्सट्रा-करिकुलर गतिविधियों में शीर्ष स्थान प्राप्त करती, लेकिन प्रेम के मामले में हमेशा दूसरे स्थान पर। वो लड़की जो स्वाभाविक रूप से स्वीकार किये जाने के लिए संघर्ष करती। कारण – शरीर के उपहास की भांति, नकारे जाने का एक और डर।바카라 웹사이트

किसी लड़के का प्रेम क्यों हमेशा इतना दूर और कठिन अनुभूत होता था? वैसे ही, जैसे स्कूल में पूछे जाने वाले सवाल – "तो तुम किस की तरह दिखती हो? माँ या पापा?" या "तुम्हारे पापा क्या करते हैं?" या बाद में जब मेरी माँ ने दूसरी शादी कर ली, जब मैं 13 साल की थी, "तुम्हारे अपने पिता की कैसे मृत्यु हो गई?"바카라 웹사이트

पिछले साल 18 नवंबर को उनकी 73वीं जन्मदिन की पूर्व संध्या पर, मुझे याद है कि मैंने अपने साथी को बताया कि कैसे मैंने उनके जन्मदिन के बारे में जाना, एक पुराने दोस्त के माध्यम से, जो अब दिल्ली में रहता था, जब मैंने उसको लिखा कि मैं बाबा का 70वां जन्मदिन मनाना चाहती हूँ, साल 2019 में, जब मैंने अपने 40वें जन्मदिन की सुबह एक बौद्ध मठ में उनके अंतिम संस्कार की रस्म को अंजाम दिया था। यह एक ऐसा निर्णय था जिससे मैंने संघर्ष किया और ठंड की उस सुबह माँ से भी छिपाया—मुझे मालूम नहीं था कि उनकी कैसी प्रतिक्रिया होगी, कि मैंने बाबा को माफ किया, लगभग तीन दशकों की अव्यक्त और दबी, भरी हुई भावनाओं को निबाहने के बाद। प्रेम नहीं मिलने का विछोभ, खुद को बदसूरत महसूस करने का बोझ, आंतरिक रूप से इन सभी का दोष एक लापता पिता पर देते हुए, जिसने मुझे और माँ को प्यार किया ही नहीं। और उससे पहले, मेरे मामा के सच कह देने के पहले, कैसे मैंने उन्हें एक प्रकार का दोषमुक्त भगवान/सुपरहीरो बना लिया था, हर रात उनसे प्रार्थना करती हुई, मेरी छोटी छोटी इच्छाएं पूरी करने के लिए। हर बार, फिर से कोई संबंध जो राख में बदल जाता, उसका शोक मनाती। और हर उस बार, अपनी अपूर्णता, अयोग्यता के अहसास से फिर से भर जाती।

(आदित्य भास्कर द्वारा अनुवादित)바카라 웹사이트바카라 웹사이트

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